Tuesday, July 8, 2025

अब नहीं कर सकेंगे दादी मां’ का दीदार,,पन्ना टाइगर रिजर्व की फेमस हथिनी वत्सला की मौत,

अब नहीं कर सकेंगे दादी  मां’ का दीदार,,पन्ना टाइगर रिजर्व की फेमस हथिनी वत्सला की मौत,

दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी थी वत्सला,मौत से मातम

तीन दशक से अधिक समय तक पन्ना टाइगर रिज़र्व की शान रही है वत्सला

The उम्मीद- मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे बुजुर्ग दादी मां कहीं जाने वाली हथनी वत्सला अब टाइगर रिज़र्व के  बीच नहीं रही, मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की धरोहर तथा बीते कई दशक से पर्यटक और वन्य जीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र रही दुनिया की सबसे उम्रदराज हथनी  वत्सला का आज दोपहर 1:30 बजे हिनौता हाथी कैंप के निकट ,निधन हो गया है  पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक ने बताया कि हिनौता हाथी के अपने पास एक नाले के पास गिर गई थी ,जो फिर अधिक उम्र होने के कारण उठ नही पाई और इलाज के दौरान मौत हो गई है ,,,

आपको बता दे कि शतायु पार कर चुकी हथिनी वत्सला की कहानी बेहद दिलचस्प तथा रहस्य व रोमांच से परिपूर्ण है। वत्सला मूलतः केरल के नीलांबुर फॉरेस्ट डिवीजन में पली-बढ़ी है। इसका प्रारंभिक जीवन नीलांबुर वन मंडल (केरल) में वनोपज परिवहन का कार्य करते हुए व्यतीत हुआ। इस हथिनी को 1971 में केरल से होशंगाबाद मध्यप्रदेश लाया गया, उस समय वत्सला की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी। वत्सला को वर्ष 1993 में होशंगाबाद के बोरी अभ्यारण्य से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान लाया गया, तभी से यह हथिनी यहां की पहचान बनी हुई है। 

 वत्सला की अधिक उम्र व सेहत को देखते हुए वर्ष 2003 में उसे रिटायर कर कार्य मुक्त कर दिया गया था। तब से किसी कार्य में उसका उपयोग नहीं किया गया। वत्सला का पाचन तंत्र भी कमजोर हो चुका था, इसलिए उसे विशेष भोजन दिया जाता रहा है। फरवरी वर्ष 2020 में वत्सला की दोनों आंखों में मोतियाबिंद हो जाने से उसे दिखाई भी नहीं देता था, फलस्वरुप चारा कटर मनीराम उसकी सूंड अथवा कान पकड़कर जंगल में घुमाने ले जाता था। बिना सहारे के वत्सला ज्यादा दूर तक नहीं चल सकती थी। हाथियों के कुनबे में शामिल छोटे बच्चे भी घूमने टहलने में वत्सला की पूरी मदद करते रहे हैं।

घायल हो चुकी है वत्सला को मिला था नया जीवन दान कैसे रहा जीवन

पन्ना टाइगर रिजर्व के ही नर हाथी रामबहादुर ने वर्ष 2003 और 2008 में दो बार प्राणघातक हमला कर वत्सला को बुरी तरह से घायल कर दिया था। पन्ना टाइगर रिजर्व के मंडला परिक्षेत्र स्थित जूड़ी हाथी कैंप में नर हाथी रामबहादुर (42 वर्ष) ने मस्त के दौरान वत्सला के पेट पर जब हमला किया तो उसके दांत पेट में घुस गये। हाथी ने झटके के साथ सिर को ऊपर किया, जिससे वत्सला का पेट फट गया और उसकी आंतें बाहर निकल आईं। डॉ. गुप्ता ने 200 टांके 6 घंटे में लगाए तथा पूरे 9 महीने तक वत्सला का इलाज किया। समुचित देखरेख व बेहतर इलाज से अगस्त 2004 में वत्सला का घाव भर गया।  लेकिन फरवरी 2008 में नर हाथी रामबहादुर ने दुबारा अपने टस्क (दाँत) से वत्सला हथिनी पर हमला करके गहरा घाव कर दिया, जो 6 माह तक चले उपचार से ठीक हुआ। हथिनी वत्सला अत्यधिक शांत और संवेदनशील थी। पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों के कुनबे में बच्चों की देखभाल दादी मां की भांति करती रही है। कुनबे में जब कोई हथिनी बच्चे को जन्म देती है, तो वत्सला जन्म के समय एक कुशल दाई की भूमिका भी निभाती थी।




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