Saturday, September 13, 2025

योजना का लाभ लेने के लिए भटक रहे अनाथ बच्चे,ये है अधिकारी राज

अनदेखी बच्चों के नहीं बने जरूरी कागजात, जिम्मेदार भी नहीं दे रहे ध्यान

योजना का लाभ लेने के लिए भटक रहे अनाथ बच्चे

पन्ना ब्यूरो -पन्ना के गुनौर विकासखंड के अंतर्गत आने वाली आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत कुलगवा में, पिछले दो सालों से कई अनाथ आदिवासी बच्चे मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना का लाभ पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, इन बच्चों के माता-पिता का निधन हुए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन रिकॉर्ड तैयार न होने की वजह से आज तक उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।

जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही

कुलगवा के शिक्षकों ने बताया कि भक्ति कोल और उनकी पत्नी का निधन करीब दो साल पहले हो चुका है, जबकि महेश कोल और उनकी पत्नी का निधन तीन-चार साल पहले  मासूम बच्चों, जिनके माता-पिता नहीं रहे, उनके बच्चे  पप्पी बाई और आशा बाई, आज भी इस योजना का लाभ मिलने का इंतजार कर रहे हैं।  क्योंकि हर ग्राम पंचायत में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं मौजूद हैं, जो नियमित रूप से बच्चों का सर्वे करती हैं और उनकी जानकारी वरिष्ठ कार्यालय को भेजती हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या इन अनाथ बच्चों की जानकारी विभाग को नहीं भेजी गई होगी?अगर नहीं भेजी गई, तो इसका जिम्मेदार कौन है और संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? कल्दा क्षेत्र में भी यही हाल है कलेक्टर ने पवई जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखिलेश उपाध्याय को इन बच्चों के रिकॉर्ड बनवाने की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन आज भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। कई बच्चे तो ऐसे हैं जिनके माता-पिता 8-10 साल पहले गुजर गए थे और अब वे 18 साल से ऊपर के हो गए हैं। पिछले इतने सालों से उन्हें योजना का लाभ नहीं मिला, और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है, जिससे इन बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

जमीनी हकीकत कुछ और है ग्राम पंचायत कुलगवा के सरपंच कमलेश यादव ने भी इस बात को स्वीकार किया कि दो परिवार ऐसे हैं जिनके माता-पिता का निधन पहले हो चुका है, और एक परिवार में दो महीने पहले ही ऐसी दुखद घटना घटी है। सरपंच ने भी यह माना कि इन बच्चों के रिकॉर्ड आज तक नहीं बन पाए, जिसकी वजह से उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक तरफ जहां सरकार प्रदेश के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी तरफ आदिवासी बहुल क्षेत्रों में जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जब इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ब्लॉक परियोजना अधिकारी कीर्ति सिंह से बात की गई, तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए बार - बार बच्चों का नाम पूछा। जब उनसे यह पूछा गया कि इन बच्चों को दो साल से योजना का लाभ क्यों नहीं मिला, तो उन्होंने उल्टा संवाददाता से ही बच्चों के नाम पूछना शुरू कर दिया, यह कहते हुए कि जब नाम पता चलेंगे, तभी वे वहां पहुंचेंगी। 



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Saturday, July 12, 2025

इंदौर जैसा हत्याकांड का मामला पति की हत्या, पत्नी 2 बच्चों सहित फरार

इंदौर जैसा हत्याकांड का मामला पति की हत्या, पत्नी 2 बच्चों सहित फरार 

ग्राम बघवार कला में अंधे हत्याकांड से हड़कंप,2 माह पहले हुई थी शादी

2 माह पहले हुई थी युवक की शादी ,,2 बच्चो के साथ रहती थी   महिला

The उम्मीद -मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के रैपुरा थाना क्षेत्र अंतर्गत बघवार कला गांव से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या कर दी गई है, और उसकी पत्नी अपने बच्चों सहित फरार हो गई है घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है पुलिस द्वारा सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए विवेचना की जा रही है। वहीं गांव में घटना के बाद गांव के हड़कंप एवं भय का माहौल व्याप्त है,,वही पुलिस द्वारा जांच एवं cctv खंगाले गए है जिसमे पत्नी अपने बच्चों को वही पास में बैंक के पास बच्चे को जूते पहना रही है,

2 माह पहले 2 बच्चो की माँ से की थी शादी हो गया कांड 

रैपुरा के नन्नू लाल सोनी पिता मुन्ना लाल सोनी उम्र 35 वर्ष की लाश अपने ही घर के कमरे में मिली है जिसके बाद परिजनों ने पुलिस को फोन कर जानकारी दी,,परिजनों के मुताबिक मृतक की पत्नी एवं दो बच्चे भी रात से ही गायब है पुलिस के अनुसार सिर में किसी भारी वस्तु से वार करने से युवक मौत हो गई है युवक घर में चार पाई पर पड़ा हुआ था। घटना की रात में मृतक उसकी पत्नी सहित बच्चे एक कमरे में सो रहे थे। तथा दूसरे कमरे में मृतक के माता पिता सो रहे थे। सुबह फोन नहीं उठने पर उन्होंने कमरे में जाकर देखा तो बेटे की लाश खून से लतपथ पड़ी हुई थी। इसके बाद डायल 100 पर पुलिस को इसकी सूचना मिली। तत्पश्चात थाना प्रभारी संतोष यादव पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे एवं जांच शुरू की। 

एसडीओपी राजेन्द्र मोहन दुबे ने बताया  कि मृतक ने दो माह पहले 28 मई 2025 को ही शादी की थी। जिस महिला से शादी हुई थी उसके पहले से दो बच्चे थे। महिला अर्चना सोनी उत्तरप्रदेश के नरैनी जनपद के ग्राम  साड़ा की बताई जा रही है। पत्नी अपने दो बच्चों सहित गायब है। पुलिस उनकी तलाश कर रही है।  प्रथम दृष्टा मृतक के सर पर किसी भारी चीज से बार किया गया जिससे उसकी मौत हुई। पत्नी एवं बच्चोंके मिलने पर ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि आखिर क्या हुआ था। पुलिस मामला कायम कर जांच कर रही है।




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Tuesday, July 8, 2025

अब नहीं कर सकेंगे दादी मां’ का दीदार,,पन्ना टाइगर रिजर्व की फेमस हथिनी वत्सला की मौत,

अब नहीं कर सकेंगे दादी  मां’ का दीदार,,पन्ना टाइगर रिजर्व की फेमस हथिनी वत्सला की मौत,

दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी थी वत्सला,मौत से मातम

तीन दशक से अधिक समय तक पन्ना टाइगर रिज़र्व की शान रही है वत्सला

The उम्मीद- मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे बुजुर्ग दादी मां कहीं जाने वाली हथनी वत्सला अब टाइगर रिज़र्व के  बीच नहीं रही, मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की धरोहर तथा बीते कई दशक से पर्यटक और वन्य जीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र रही दुनिया की सबसे उम्रदराज हथनी  वत्सला का आज दोपहर 1:30 बजे हिनौता हाथी कैंप के निकट ,निधन हो गया है  पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक ने बताया कि हिनौता हाथी के अपने पास एक नाले के पास गिर गई थी ,जो फिर अधिक उम्र होने के कारण उठ नही पाई और इलाज के दौरान मौत हो गई है ,,,

आपको बता दे कि शतायु पार कर चुकी हथिनी वत्सला की कहानी बेहद दिलचस्प तथा रहस्य व रोमांच से परिपूर्ण है। वत्सला मूलतः केरल के नीलांबुर फॉरेस्ट डिवीजन में पली-बढ़ी है। इसका प्रारंभिक जीवन नीलांबुर वन मंडल (केरल) में वनोपज परिवहन का कार्य करते हुए व्यतीत हुआ। इस हथिनी को 1971 में केरल से होशंगाबाद मध्यप्रदेश लाया गया, उस समय वत्सला की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी। वत्सला को वर्ष 1993 में होशंगाबाद के बोरी अभ्यारण्य से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान लाया गया, तभी से यह हथिनी यहां की पहचान बनी हुई है। 

 वत्सला की अधिक उम्र व सेहत को देखते हुए वर्ष 2003 में उसे रिटायर कर कार्य मुक्त कर दिया गया था। तब से किसी कार्य में उसका उपयोग नहीं किया गया। वत्सला का पाचन तंत्र भी कमजोर हो चुका था, इसलिए उसे विशेष भोजन दिया जाता रहा है। फरवरी वर्ष 2020 में वत्सला की दोनों आंखों में मोतियाबिंद हो जाने से उसे दिखाई भी नहीं देता था, फलस्वरुप चारा कटर मनीराम उसकी सूंड अथवा कान पकड़कर जंगल में घुमाने ले जाता था। बिना सहारे के वत्सला ज्यादा दूर तक नहीं चल सकती थी। हाथियों के कुनबे में शामिल छोटे बच्चे भी घूमने टहलने में वत्सला की पूरी मदद करते रहे हैं।

घायल हो चुकी है वत्सला को मिला था नया जीवन दान कैसे रहा जीवन

पन्ना टाइगर रिजर्व के ही नर हाथी रामबहादुर ने वर्ष 2003 और 2008 में दो बार प्राणघातक हमला कर वत्सला को बुरी तरह से घायल कर दिया था। पन्ना टाइगर रिजर्व के मंडला परिक्षेत्र स्थित जूड़ी हाथी कैंप में नर हाथी रामबहादुर (42 वर्ष) ने मस्त के दौरान वत्सला के पेट पर जब हमला किया तो उसके दांत पेट में घुस गये। हाथी ने झटके के साथ सिर को ऊपर किया, जिससे वत्सला का पेट फट गया और उसकी आंतें बाहर निकल आईं। डॉ. गुप्ता ने 200 टांके 6 घंटे में लगाए तथा पूरे 9 महीने तक वत्सला का इलाज किया। समुचित देखरेख व बेहतर इलाज से अगस्त 2004 में वत्सला का घाव भर गया।  लेकिन फरवरी 2008 में नर हाथी रामबहादुर ने दुबारा अपने टस्क (दाँत) से वत्सला हथिनी पर हमला करके गहरा घाव कर दिया, जो 6 माह तक चले उपचार से ठीक हुआ। हथिनी वत्सला अत्यधिक शांत और संवेदनशील थी। पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों के कुनबे में बच्चों की देखभाल दादी मां की भांति करती रही है। कुनबे में जब कोई हथिनी बच्चे को जन्म देती है, तो वत्सला जन्म के समय एक कुशल दाई की भूमिका भी निभाती थी।




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जनता ने चुना है उनकी सेवा करना मेरा धर्म है _श्री सिंह

जनता ने चुना है उनकी सेवा करना मेरा धर्म है _श्री सिंह पन्ना 29 नवंबर/प्रदेश के खनिज साधन एवं श्रम विभाग मंत्री श्री बृजेंद्र प्रताप सिंह द्...