Saturday, April 8, 2023

मध्य प्रदेश में चुनावी मौसम शुरू ,,जातिगत समीकरण बनाने लगी पार्टी

पन्ना जिले में भी सभी राजनैतिक पार्टियों ने चुनावी तैयारियां की शुरू,,

पन्ना जिले में सीधा मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता है,,

केंद्र से लेकर  प्रदेश में और जिले में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है ,,

पन्ना ब्यूरो-भारतीय जनता पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता बूथ जिताओ ओर बीजेपी लाओ के कार्यक्रम में लग चुका है । वही पार्टी में विघटन दूर करने के लिए निचले स्तर से लेकर ऊपर स्तर तक के बड़े-बड़े राजनेता समीकरण बनाने में लगे हुए वही पन्ना विधानसभा मैं जीत के लिए जातीय समीकरण  महत्वपूर्ण होता है यहां पर  ओबीसी और ब्राह्मण फैक्टर निर्णायक भूमिका में रहता है । 2018 से पहले पन्ना विधानसभा सीट से कद्दावर नेता कुसुम सिंह मेहदेले यहां से बीजेपी की विधायक रही हैं जोकि लोधी समाज से आती है । लेकिन पन्ना विधानसभा में ओबीसी का सबसे बड़ा एक धड़ा लोधी समाज का है जिस कारण से इस सीट में भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा ओबीसी कैंडिडेट पर अपना भरोसा जताया है ।लेकिन 2018 के पन्ना विधानसभा से सिटिंग विधायक कुसुम सिंह मेहदेले की सीट काटकर भारतीय जनता पार्टी ने पवई विधानसभा से बृजेंद्र प्रताप को शिफ्ट करके पन्ना विधानसभा से उम्मीदवार के तौर पर खड़ा कर दिया था ।और कुसुम सिंह महदेले को उम्र का हवाला देकर किनारे कर दिया अब वही 2018 के चुनाव में बृजेंद्र प्रताप सिंह ने बीजेपी की टिकट पर जीत हासिल कर भारतीय जनता पार्टी की इस सीट को सुरक्षित रखा ।

विधानसभा में चर्चा है कि इन साढ़े चार साल के कार्यकाल में  कुसुम सिंह महदेले और बृजेंद्र प्रताप सिंह के बीज मनमुटाव की खबरें हमेशा सामने आती रही है। वही ना ही कभी इन दोनों नेताओं को एक मंच पर देखा गया है यह तक कि कभी भी दोनो नेताओं ने सार्वजनिक मंच को भी नही साझा किया गया है 


सत्ता का सुख,,सब कुछ संभव कर देता है

आश्चर्य की बात यह है कि अब दोनों नेताओं के बीच सारे गिले शिकवे दूर करता दिखाई दे रहा है इसीलिए अब 2023 के चुनाव आते ही सब कुछ बदला हुआ दिख रहा है।सोशल मीडिया से लेकर  सार्वजनिक मंच को भी दोनों राजनेता साझा कर रहे हैं ।और उनकी फोटो वीडियो सोशल मीडिया पर जम कर पार्टी कार्यकर्ताओं के द्वारा वायरल भी की जा रही है ।ताकि चुनाव से पहले इस बात का संदेश दिया जा सके कि बृजेंद्र प्रताप सिंह और कुसुम सिंह महदेले के बीच में किसी प्रकार की कोई नाराजगी नहीं ।

लेकिन सवाल यह खड़े होते हैं कि किन शर्तो पर तय हुआ है  समझौता ????

क्या कुसुम सिंह महदेले किसी और सीट से चुनाव लड़ेंगी या फिर विधानसभा छोड़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार होंगी या फिर चुनाव होने के बाद कुसुम सिंह मेहदेले दरकिनार हो जाएंगे ।क्योंकि वर्तमान परिस्थिति में जरूरत को समझते हुए  पन्ना विधानसभा में जीतने के लिए लोधी से लेकर ओबीसी फैक्टर को साधना,, भारतीय जनता पार्टी के लिए जरूरी था, वही अगर ब्राह्मणों की बात की जाए तो मीना पांडे को नगर पालिका अध्यक्ष बना कर ब्राह्मणों को भी साधने का प्रयास पार्टी और बृजेंद्र प्रताप सिंह ने किया है ,,लेकिन अब विधानसभा में नगर पालिका अध्यक्ष के बनने से ब्राह्मण फैक्टर खफा दिख रहा हैअब ब्राह्मण में भी गुटबाजी दिख रही है जिससे भाजपा को नुकसान हों सकता है 

और चुनाव से ठीक 7 महीने पहले से ही सारे समीकरणों को केंद्रित करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन देखना यह है |कि कांग्रेस बीजेपी इस गढ़ को तोड़ने के लिए कौन सी नई रणनीति के साथ पन्ना विधानसभा में उतरेगी और पन्ना  विधानसभा की जनता किस पर विश्वास दिखाएगी



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