Saturday, January 14, 2023

साल में सिर्फ एक बार 48 घण्टे के लिए ही खुलता है मंदिर दूर-दूर से मन्नत मांगने आते हैं लोग

ऐसा मंदिर जहा एक साल में एक बार होती है भगवान की पूजा !

मकरसंक्रांति में ही लाखो की संख्या में आते है भक्त,करते है दर्शन 

अमित सिंह पन्ना - मध्‍य प्रदेश के पन्ना में अजयगढ़ किले में मौजूद अजयपाल बाबा का मंदिर एक बार फिर खुला है. मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी भगवान अजयपाल की मूर्ति लाई गई है, जहां दर्शन और मन्नत मांगने के लिए लाखों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. किले का यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार 48 घंटे के लिए ही खुलता है. दूर-दूर से निसंतान दंपति और किसान इसके दर्शन के लिए आते हैं. चंदेल राजाओं का खजाना आज भी मौजूद है और बीजक में इसके खोलने का राज छिपा है.वैसे तो मंदिरो में भगवान की पूजा रोज होती है लेकिन हम एक ऐसे मंदिर व भगवान के बारे में बताते है जहां साल में एक बार भगवान की पूजा होती है  यह अनोखा मंदिर अजयगढ़ किला में ऊंची पहाड़ियों में स्थित है अजयपाल नाम के इस मंदिर में भगवान की पूजा साल में एक बार होती है मकर संक्रांति के दिन  भगवान अजयपाल के दर्शन करने लाखो की संख्या में लोग दूर दराज से आते है और आस्था की डुबकी लगाकर भगवान की पूजा करते है और मन्नत मांगते  है ! 

प्रदेश के खनिज मंत्री ब्रजेंद्र प्रताप सिंह भी पहुचे 

हर साल भगवान अजय पाल के दर्शन करने यहां आते ,हर साल रीवा से लाई जाती है मूर्ति हर साल मकर संक्रांति के मौके पर किले का यह मंदिर खोला जाता है और रीवा के पुरातत्व संग्रहालय में सुरक्षित रखी भगवान अजयपाल की मूर्ति को यहां लाया जाता है. इस मूर्ति के दर्शन को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाले लोगों की हर मुराद पूरी होती है. निसंतान दंपति यहां अपनी गोद भरने की दुआ लेकर आते हैं और कुछ मन्नत पूरी होने के बाद प्रसाद चढ़ाकर भगवान को धन्यवाद देने भी आते हैं. लोग मवेशियों की सुरक्षा की दुआ लेकर भी यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. माना जाता है कि यहां के एकमात्र कंकड़ को ही अगर मवेशियों के पास रख दिया जाए तो पशुओं की बीमारियां दूर हो जाती हैं. इसके बाद भगवान पुरातत्व के संग्रालय में रख दी जाती है अजयगढ़ के ऊंची पहाड़ियों में दो सौ फीट ऊंचाई पर बना है जहां लाखो भक्त एक दिन में ही जमा होते है जो अपने आप मे चर्चा का विषय है !

छिपा है हजारों साल पुराने ताला चावी  में बंद  खजाने का राज ,आज भी रहस्यमय 

अजयगढ़ के किले का इतिहास बताता है कि यह 2 हजार ईसा पूर्व चंदेल वंश के राजाओं के दौर का है. बताया जाता है कि यहां चंदेल कालीन राजाओं का खजाना है, जिसके ताला और चाबी का रहस्य बीजक में छिपा है. इस किले को लेकर कई किस्से कहानियां भी हैं. कहा जाता है कि औरंगजेब जब यहां आया तो उन्होंने किले में छिपे खजाने का पता लगाने के लिए यहां के मंदिर में रखी मूर्ति तोड़ने की कोशिश की थी. हालांकि मूर्ति टूटने के बजाय पानी के कुंड में जाकर विलुप्त हो गई और तभी से किले में मौजूद खजाना दुनिया के लिए रहस्य बन गया है.






WhatsApp

No comments:

Post a Comment

जनता ने चुना है उनकी सेवा करना मेरा धर्म है _श्री सिंह

जनता ने चुना है उनकी सेवा करना मेरा धर्म है _श्री सिंह पन्ना 29 नवंबर/प्रदेश के खनिज साधन एवं श्रम विभाग मंत्री श्री बृजेंद्र प्रताप सिंह द्...