Monday, September 15, 2025

युवक करता रहा टाइगर को पेड़ में चढ़कर इशारा, टाइगर ने छोड़ा अपना शिकार

पन्ना में युवक का बाघ से हुआ आमना-सामना, पेड़ पर चढ़कर बचाई जान

पन्ना ब्यूरो -मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में उत्तर वनमंडल के देवेंद्र नगर रेंज में आज एक युवक का बाघ से आमना-सामना हो गया। अचानक सामने आये इस संकट से घबड़ाने के बजाय युवक ने सूझबूझ का परिचय दिया और बिना समय गंवाए पास के पेड़ में चढ़ गया। आपको बता दे कि रावेन्द्र सिंह उर्फ़ चुन्नू सोमवार को जब जंगल में अपने मवेशियों को लेने गया हुआ था, उसी समय उसके नजदीक बाघ आ गया। मौत को सामने देख युवक ने अपनी जान बचाने के लिए पेड़ का सहारा लिया। तक़रीबन आधा घण्टे तक युवक पेड़ पर ही चढ़ा रहा और वहीं से मोबाइल पर परिजनों को सूचना दी। युवक के परिजन व ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे तथा युवक को सुरक्षित नीचे उतार लिया। इस वन क्षेत्र के बीट गार्ड ने बताया कि जानकारी मिलते ही वे ग्रामीणों के साथ पहुंचे और शोर-शराबा करके बाघ को जंगल की तरफ भगाया गया। पेड़ के ऊपर से युवक ने इस बाघ का वीडियो भी बनाया है। युवक को सकुशल घर पंहुचा दिया गया है। घटना के बाद से इलाके में भय और दहशत का माहौल है। वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को जंगल में न जाने की सलाह दी है।



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Saturday, September 13, 2025

50 से अधिक बीमार, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में डाला डेरा

स्वास्थ्य विभाग बेपरवाह रैपुरा के लखनचौरी में उल्टी-दस्त का प्रकोप, 

पन्ना ब्यूरो -पन्ना जिले के  रैपुरा तहसील अंतर्गत ग्राम लखनचौरी में उल्टी दस्त के प्रकोप से अबतक 50 से अधिक लोगों के लोगों के बीमार होने का मामला सामने आया है। करीब एक सप्ताह सर इस गांव में बीमारी का प्रकोप बना हुआ है जानकारी लगते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम  पहुंची स्वास्थ्य

विभाग की टीम गांव और लोगों को उप स्वास्थ्य केंद्र रैपुरा में भर्ती करवाया गया है। वहीं गांव में कैम्प लगाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण व प्राथमिक इलाज किया जा रहा है।जानकारी के अनुसार लखनचौरी गांव में करीब 350 लोगों की आवादी हैं। यहां पीने के पानी के लिए एक मात्र प्राचीन कुआ है। जहां ग्रामीण पानी का उपयोग पीने के लिए करते हैं। जिसका पानी दूषित हो जाने के कारण गांव में 8 सितंबर से उल्टी दस्त की बीमारी फैल गई। जिससे गांव के लोग एक एक कर बीमार पड़ने लगे। 9 सितम्बर को रैपुरा उप स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टर एमएल चौधरी ने टीम को गांव भेजा। टीम ने गांव में बीमार व्यक्तियों को रैपुरा अस्पताल भर्ती करवाया वहीं 10 सितंबर से 12 सितम्बर तक गांव की स्तिथ कंट्रोल में नही आई रोजाना 10 से 15 मरीज उल्टि दस्त की बीमारी ग्रसित हो रहे। 13 सितंबर को स्वास्थ्य स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में बीमारी की स्तिथि को कंट्रोल कर लिया है। इससे कोई नया मरीज नहीं मिला। पुराने मरीजों की

डोर टू डोर चेकअप, कुएं के पानी की सैंपलिंग कर पूरे गांव का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है।

जो लोग भी बीमार थे उस सभी का उपचार किया जा रहा है। गंभीर रूप से बीमार मरीजों को रैपुरा स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। स्थिति अभी नियंत्रण में हैं। गांव में मौजूद स्वास्थ्य अमले के द्वारा गांव में डोर टू डोर मेडिकल चेकअप कियाजा रहा है। बीमारी के कोई लक्षण होने पर उन्हें हालत में भी सुधार हो रहा है।



स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में है सक्रियः बीएमओ डॉ. सर्वेश कुमार लोधी ने बताया, 8 सितंबर से गांव में उल्टी-दस्त के कारण लोग बीमार पड़ रहे थे। अबतक करीब 50 तत्काल उपचार के लिए स्वास्थ्य केंद्र भेजा जा रहा है। ग्रामीणों को समझाइश दी गई है कि गर्म पानी पीने की पिएं और भोजन ताजा खाएं गांव के लिए कुएं के पानी का सेम्पल लेकर जांच के लिए भेजा गया है। किसी भी प्रकार की तकलीफ होने पर तुरंत नजदीकी डॉक्टर से सलाह लें, जिससे बीमारी को रोका जा सके। लोग बीमार हो गए हैं। इसको गंभीरता से लेते हुए तत्काल मौके पर स्वास्थ्य विभाग की टीम को भेजा गया है। जो निरंतर गांव में स्कैनिंग कर लोगों का उपचार कर रही है। निःशुल्क दवाएं दी जा रही हैं

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योजना का लाभ लेने के लिए भटक रहे अनाथ बच्चे,ये है अधिकारी राज

अनदेखी बच्चों के नहीं बने जरूरी कागजात, जिम्मेदार भी नहीं दे रहे ध्यान

योजना का लाभ लेने के लिए भटक रहे अनाथ बच्चे

पन्ना ब्यूरो -पन्ना के गुनौर विकासखंड के अंतर्गत आने वाली आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत कुलगवा में, पिछले दो सालों से कई अनाथ आदिवासी बच्चे मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना का लाभ पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, इन बच्चों के माता-पिता का निधन हुए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन रिकॉर्ड तैयार न होने की वजह से आज तक उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।

जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही

कुलगवा के शिक्षकों ने बताया कि भक्ति कोल और उनकी पत्नी का निधन करीब दो साल पहले हो चुका है, जबकि महेश कोल और उनकी पत्नी का निधन तीन-चार साल पहले  मासूम बच्चों, जिनके माता-पिता नहीं रहे, उनके बच्चे  पप्पी बाई और आशा बाई, आज भी इस योजना का लाभ मिलने का इंतजार कर रहे हैं।  क्योंकि हर ग्राम पंचायत में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं मौजूद हैं, जो नियमित रूप से बच्चों का सर्वे करती हैं और उनकी जानकारी वरिष्ठ कार्यालय को भेजती हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या इन अनाथ बच्चों की जानकारी विभाग को नहीं भेजी गई होगी?अगर नहीं भेजी गई, तो इसका जिम्मेदार कौन है और संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? कल्दा क्षेत्र में भी यही हाल है कलेक्टर ने पवई जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखिलेश उपाध्याय को इन बच्चों के रिकॉर्ड बनवाने की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन आज भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। कई बच्चे तो ऐसे हैं जिनके माता-पिता 8-10 साल पहले गुजर गए थे और अब वे 18 साल से ऊपर के हो गए हैं। पिछले इतने सालों से उन्हें योजना का लाभ नहीं मिला, और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है, जिससे इन बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।

जमीनी हकीकत कुछ और है ग्राम पंचायत कुलगवा के सरपंच कमलेश यादव ने भी इस बात को स्वीकार किया कि दो परिवार ऐसे हैं जिनके माता-पिता का निधन पहले हो चुका है, और एक परिवार में दो महीने पहले ही ऐसी दुखद घटना घटी है। सरपंच ने भी यह माना कि इन बच्चों के रिकॉर्ड आज तक नहीं बन पाए, जिसकी वजह से उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक तरफ जहां सरकार प्रदेश के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी तरफ आदिवासी बहुल क्षेत्रों में जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जब इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ब्लॉक परियोजना अधिकारी कीर्ति सिंह से बात की गई, तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए बार - बार बच्चों का नाम पूछा। जब उनसे यह पूछा गया कि इन बच्चों को दो साल से योजना का लाभ क्यों नहीं मिला, तो उन्होंने उल्टा संवाददाता से ही बच्चों के नाम पूछना शुरू कर दिया, यह कहते हुए कि जब नाम पता चलेंगे, तभी वे वहां पहुंचेंगी। 



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