Monday, October 14, 2024

खाद की किल्ल्त किसान परेशान,,लंबी लाइन के बाद भी नही मिल रही खाद ,कालाबाजारी का आरोप

खाद की किल्ल्त किसान परेशान,,लंबी लाइन के बाद भी नही मिल रही खाद ,कालाबाजारी का आरोप

खाद गोदाम के बाहर लगी हजारों की भीड़ जालीं में लटके किसान,

तहसीलदार की मॉनिटरिंग एवं पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में हो रहा वितरण फिर भी किसान परेशान

किसानों ने लगाए खाद्य वितरण पर गंभीर आरोप,कालाबाजारी के आरोप 

किसानों की मुश्किलें खाद की कमी ने बढ़ाई परेशानी, हजारों की लाइनें

लंबी लाइन के साथ खिड़की में लटके किसान

The उम्मीद ब्यूरो - मध्य प्रदेश के कई जिलों में किसानों को खाद की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। खाद न मिलने से किसान बेहद परेशान हैं और उन्हें घंटों लंबी लाइनें लगानी पड़ रही हैं ऐसा ही मामला पन्ना के गुनोर के किसानों के साथ हो रहा है जहा किसान काफी परेशान हो रहे है जहाँ खाद की कमी से उनकी फसल प्रभावित हो रही है और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। गुनोर के कृषि उपज मंडी खाद वितरण केंद्र मे हजारों की संख्या में किसान लाइन में  खाद लेने के लिए पहुच रहे जहाँ भीड़ इतनी अधिक है कि किसान खाद की आस में  जालियों से लटकतें अपनी बारी का इंतजार कर रहे है  खाद की कमी के कारण आये दिन किसान खाद लेने के लिए चक्कर काट रहे है लेकिन जिले में खाद की कमी के कारण प्रतिदिन हजारों किसान परेशान हो रहे है  किसानों ने कालाबाजारी के आरोप सेल्समैन पर लगाये है जो अभी आये है उनको पैसे अधिक लेकर खाद दी जा रही है लेकिन हम लाइन में लगे है और 3 दिनों से सभी किसान  परेशान हो रहे है  हमने अपने आधार कार्ड 4 दिन पूर्व खाद लेने के लिए जमा कर दिए थे मगर  आज नए लोगों को आधार कार्ड लेकर के उनको खाद दी जा रही है हम लोगों के आधार कार्ड बाहर फेंक दिए गए हैं 

ऐसे फेक दिए आधार कार्ड

तहसीलदार की मौजूदगी में खाद वितरण फिर भी कालाबाजारी 

खाद का वितरण गुनौर तहसीलदार की मौजूदगी होने के बावजूद भी खाद वितरण में धांधली देखने को मिल रही है  वही खाद वितरण केंद्र पर हजारों की तादात पर किसान अपने नंबर का इंतजार करते बैठे है लेकिन फिर भी दुकानदारों एवं वयापारीयो को खाद बिना नंबर के दी जा रही है किसान लाइन लगा कर मिलने का इंतजार कर रहा है आपको बता दे की एक ओर किसानो की बुबाई शुरू होने लगी है वही दूसरी तरफ खाद के लिए किसान डर-डर की ठोकरे खाते फिर रहे हैं  किसान यूं ही भटकते रहे है खाद्य वितरण में  जिम्मेदारों के द्वारा अनदेखी की जा रही है,जहाँ अधिकारी इस विषय पर नही बोल रहे है 

खाद वितरण में सेल्समेन एवं दालल सक्रिय ,

गुनोर में सेल्समेन द्वारा दलालो मो सक्रिय कर कालाबाजारी की जा रही है वही किसान एक एक बोरी के लिए बेचारा लाइन में खड़ा है जहाँ सुबह से शाम तक लाइन नही टूट रही है आखिरकार सरकार और जिले का प्रशासन क्या कर रहा है इसमें जिला कलेक्टर द्वारा सही मोनिटरिंग नही होने से जिले भर में किसान खाद के लिए परेशान है





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महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश छत्रसाल द्वितीय को दिव्य तलवार, पान व बीरा भेंट किय

 सदियों पुरानी ऐतिहासिक परंपरा का हुआ निर्वहन

महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश छत्रसाल द्वितीय को
दिव्य तलवार, पान व बीरा भेंट किया

पन्ना उम्मीद पांच पद्मावती पुरी धाम पन्ना के प्राचीन खेजड़ा मंदिर में सदियों से चली आ रही परम्परा का शनिवार को विधिवत निर्वहन किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित महाराजा छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश छत्रसाल द्वितीय को मंदिर के पुजारी द्वारा दिव्य तलवार, पान व बीरा भेंट किया गया। इस अवसर पर पन्ना राजघराने के सदस्य व छतरपुर से भी महाराजा छत्रसाल के वंशज सत्येन्द्र सिंह बुंदेला, बुदेला समाज के लोगों में मार्तण्ड सिंह, एडी राजा, सौरज प्रताप बुंदेला उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से धर्मगुरू डा. दिनेश एम पंडित, धर्मोपदेशक पंडित खेमराज व श्याम बिहारी दुबे सहित श्री 108 प्राणनाथ मंदिर टस्ट के पदाधिकारी व प्रबंधक उपस्थित रहे।मालूम हो कि दशहरा के दिन प्रतिवर्ष इस समारोह के साक्षी बनने के लिए सैकड़ों की संख्या में महामति के अनुयायी श्रद्धालु अपरान्ह पांच बजे से ही विशाल मंदिर प्रांगण में एकत्रित हो जाते थे और उस घड़ी का इंतजार में पलक-पावड़े बिछाए रहते थे कि कब महराज केशरी छत्रसाल के वंशज आएंगे और उस परम्परा का निर्वहन होगा। 
 दिव्य तलवार से ऐतिहासिक 52 लड़ाइयां मुगलों के खिलाफ जीतीं थीं :
 मालूम हो कि आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व उस समय महामति प्राणनाथ द्वारा छत्रसाल को दिव्य तलवार व बीरा भेंट कर उन्हें विजय आशीर्वाद दिया था और उन्होंने इसी आशीर्वाद और दिव्य तलवार से ऐतिहासिक 52 लडाइयां मुगलों के खिलाफ जीतीं थीं। उसी परम्परा के निर्वहन में प्रतिवर्ष दशहरा के दिन महाराज छत्रसाल के वंशजों को तलवार व बीरा भेंट किया जाता है। जिसकी एक झलक पाने हजारों श्रद्धालुओं की नजरें टिकी रहती थीं। महामति प्राणनाथ ने बुन्देलखण्ड की रक्षा के लिए महराजा छत्रसाल को वरदानी तलवार सौंपी थी तथा बीरा उठाकर संकल्प करवाया था जिससे महाराजा छत्रसाल पूरे बुन्देलखण्ड को जीत सके थे और अपना साम्राज्य स्थापित कर पन्ना को राजधानी बनाया था। पन्ना में उसी समय से इस परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है। विजयादशमी के दिन आयोजित इस गरिमामयी कार्यक्रम में प्राणनाथ जी मंदिर के पुजारी महाराज छत्रसाल के वंशजों का तिलक कर बीरा व तलवार देकर उस रस्म को निभाते हैं जो कभी महामति ने छत्रसाल को देश और धर्म की रक्षा के लिए प्रदान की थी। महोत्सव के बीच जब महाराज छत्रसाल के वंशज पन्ना महाराज राघवेन्द्र सिंह के कुंवर छत्रसाल व राजपरिवार के सदस्य पधारे तो सभा भवन प्राणनाथ की जय व बुन्देलखण्ड केशरी महाराजा छत्रसाल के जयकारों से गूंज उठा।मंचीय कार्यक्रम का हुआ आयोजन : इस अवसर पर श्री खेजडा मंदिर के विशाल चबूतरे में मंचीय कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ। जिसमें धर्माचार्यों द्वारा महामति प्राणनाथ व महाराजा छत्रसाल के विषय में विस्तारपूर्वक बताया गया। वहीं सौरभ शर्मा व विजय शर्मा लल्लू द्वारा शानदार भजनों की प्रस्तुति दी गई। जिसमें उपस्थित लोग मग्न होकर झूमने लगे। कार्यक्रम का सफल संचालन मनोज शर्मा रीवा द्वारा किया गया।


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Thursday, October 10, 2024

देश के 'रतन' टाटा नहीं रहे, 86 साल की उम्र में मुंबई में ली अंतिम सांस, PM मोदी बोले- वो बड़े सपने देखते थे

 देश के 'रतन' टाटा नहीं रहे, 86 साल की उम्र में मुंबई में ली अंतिम सांस, PM मोदी बोले- वो बड़े सपने देखते थे

उनका 86 साल की उम्र में बुधवार रात निधन हो गया. रतन टाटा ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली.

Ratan Tata Success Story: रतन टाटा (Ratan Tata) के नेतृत्व में 90 के दशक में टाटा मोटर्स ने अपनी पहली कार 'टाटा इंडिका' (Tata Indica) लॉन्च की थी. यह कार भारतीय बाजार में एक बड़ी उम्मीद के साथ उतारी गई थी, लेकिन बाजार से वैसा रिस्पांस नहीं मिला, जैसा रतन टाटा ने सोचा था. कार की बिक्री न होने और लगातार हो रहे नुकसान की वजह से एक समय ऐसा आया कि रतन टाटा को टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने का फैसला लेना पड़ा. इसी सिलसिले में टाटा ने अमेरिका की प्रमुख कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) से बात की.

 रतन टाटा जब फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन बिल फोर्ड (Bill Ford) से मिलने पहुंचे तो उस मीटिंग में कुछ ऐसा हुआ जिसे रतन टाटा शायद कभी नहीं भूल सकते थे. मीटिंग के दौरान बिल फोर्ड ने न केवल टाटा मोटर्स का मजाक उड़ाया, बल्कि रतन टाटा को अपमानित करते हुए कहा, "तुम्हें कार बिजनेस की समझ नहीं है, फिर भी इसे क्यों शुरू किया? अगर मैं इसे खरीदूंगा तो यह तुम्हारे ऊपर एक बड़ा एहसान होगा."

रतन टाटा शांत रहे, लेकिन कर लिया बड़ा फैसला

बिल फोर्ड के ये अपमानजनक शब्द रतन टाटा के दिल पर गहरी चोट कर गए. लेकिन उन्होंने उस समय कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और शालीनता से पूरी बात सुनी. उस अपमान के बावजूद, उन्होंने अमेरिका में टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिवीजन को बेचने का फैसला बदल दिया और चुपचाप मुंबई लौट आए. इसके बाद उन्होंने अपने पूरे फोकस और मेहनत से टाटा मोटर्स को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम शुरू किया.

टाटा ने 9 साल में ऐसे लिया बदला

रतन टाटा ने बिना किसी को बताए, अपना पूरा ध्यान कंपनी को मजबूत करने में लगा दिया. उनकी यह मेहनत रंग लाई और 2008 तक टाटा मोटर्स दुनिया भर में एक बड़ा नाम बन चुकी थी. वहीं दूसरी ओर, बिल फोर्ड के नेतृत्व में फोर्ड मोटर्स की हालत खराब हो गई थी. कंपनी को भारी नुकसान झेलना पड़ा, और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि फोर्ड को अपनी कंपनी बचाने के लिए बड़ा कदम उठाना पड़ा.

बिल फोर्ड को आना पड़ा मुंबई

जब फोर्ड मोटर्स घाटे में डूब रही थी, तब रतन टाटा ने फोर्ड की सबसे लोकप्रिय कार ब्रांड्स जैगुआर (Jaguar) और लैंड रोवर (Land Rover) को खरीदने का ऑफर दिया. इस बार रतन टाटा को अमेरिका जाने की जरूरत नहीं पड़ी, बल्कि बिल फोर्ड को अपनी पूरी टीम के साथ मुंबई आना पड़ा. यह वही फोर्ड चेयरमैन थे जिन्होंने कभी रतन टाटा का अपमान किया था, और अब वे टाटा मोटर्स से मदद की उम्मीद कर रहे थे.

फिर बदल गए फोर्ड चेयरमैन के सुर

मुंबई में रतन टाटा से मिलने के बाद बिल फोर्ड के सुर पूरी तरह बदल गए थे. मीटिंग के दौरान बिल फोर्ड ने वही शब्द दोहराए, जो उन्होंने पहले रतन टाटा के लिए कहे थे, लेकिन इस बार वह खुद के लिए बोले. उन्होंने रतन टाटा से कहा, "आप जैगुआर और लैंड रोवर को खरीदकर हम पर बड़ा एहसान कर रहे हैं."

टाटा की बड़ी जीत

रतन टाटा ने न केवल अपने अपमान का बदला लिया, बल्कि टाटा मोटर्स को एक नई दिशा दी. आज जैगुआर और लैंड रोवर टाटा मोटर्स के सबसे सक्सेसफुल ब्रांड्स में से एक हैं. यह कहानी बताती है कि कैसे रतन टाटा ने अपमान को अपनी ताकत बनाकर फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन को सबक सिखाया.



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